Wednesday 12 November 2014

तू अमृत पास रख अपने, पिलाना देवताओं को ...

मैं तुमसे ये नहीं कहता मेरी किस्‍मत बदल दे तू
कमल सा खिल सकूं कीचड़ में, बस इतनी अक़ल दे तू

मैं अपनी राह के कांटों को फूलों में बदल लूंगा
न कर फूलों की बारिश, बाजुओं में मेरे बल दे तू

अगर तू है ख़ुदा तो याद रख ख़ुद्दार हूँ मैं भी
न दे तू भीख मुझको बस मेरी मेहनत का फल दे तू

तुम्‍हारी ही अमानत जिंदगी है, मौत तो भ्रम है
नहीं मैं मौत से डरता, अभी दे चाहे कल दे तू

तू अमृत पास रख अपने, पिलाना देवताओं को
कि मैं शंकर बनूंगा, तू हलाहल दे गरल दे तू  
                                    -- शशिकान्‍त सिंह

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