30 Aug, 25, Indiabulls Greens
दुनिया कहे तो कहने दो, मुझको गिला नहीं
इतना मुझे यकीं है कि वो बेवफ़ा नहीं
उनसे मिले जरूर थे हम, फिर भी अर्ज़ है
वो चंद वाक़िए थे, कोई सिलसिला नहीं
दिल में मेरे जो बात थी, लब तक न आ सकी
कैसे कहूँ कि हाल-ए-दिल उसने सुना नहीं
ख्वाबों में मेरे आते हैं, फिर भी सनद रहे
मैं मुंतज़िर हूं जिनका उन्हें ही पता नहीं
ख़्वाबों के तिनकों से तो नहीं बनता आशियां
नादानियां थीं मेरी, ये उनकी ख़ता नहीं
लगने न दूंगा उनपे मैं इल्ज़ाम इश्क़ का
ये दिल कुसूरवार है, उनकी अदा नहीं
होता नहीं मिलन कभी धरती से चांद का
यूं रू-ब-रू गुज़रने का हक़ भी बुरा नहीं
© शशि कान्त सिंह
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