12 मई, 1999, नयी दिल्ली
सो जा, सो जा, सो जा,
ऐ मेरे दिल सो जा
सो जा, सो जा, सो जा,
तू सपनों में खो जा
प्यार-वफ़ा बकवास यहाँ,
ईमान तो चांदी-सोना है
दौलत की मायानगरी में
तू तो एक खिलौना है
जब जी चाहा गले लगाया,
मन भरते ही छोड़ दिया
जब जी में आया तब खेला,
जब जी चाहा तोड़ दिया
पत्थर दिल है दुनिया सारी ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ
पत्थर दिल है दुनिया सारी,
तू भी पत्थर हो जा
सो जा, सो जा, सो जा,
ऐ मेरे दिल सो जा
किसको ज़ख़्म दिखाएगा तू,
किससे दुखड़ा रोएगा
अँन्धों के आगे रोकर
अपनी भी आँखे खोएगा
प्यार का सिक्का दुनिया के
बाज़ारों में नाकाम हुआ
चाँद तेरा अपनी मर्ज़ी से
दौलत पर नीलाम हुआ
ईद मनाने दे दुनिया को ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ
ईद मनाने दे दुनिया को,
तेरा अभी है रोज़ा
सो जा, सो जा, सो जा,
ऐ मेरे दिल सो जा
क़ायनात भी रोती है,
जब सारी दुनिया सोती है
रात लिपट कर धरती से
शबनम के आँसू रोती है
यूँ आँसू बर्बाद न कर तू ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ
यूँ आँसू बर्बाद न कर तू,
माला कोई पिरो जा
सो जा, सो जा, सो जा,
ऐ मेरे दिल सो जा
©शशि कान्त सिंह
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