ज़हर को मैं दवा लिख दूं औ' गाली को दुआ लिख दूं
बताओ मैं तुम्हारी शान में कितना औ क्या लिख दूं
बताओ मैं तुम्हारी शान में कितना औ क्या लिख दूं
मरे जो फ़र्ज को अंजाम देते उन शहीदों को
भगोड़ा लिख दूं, जो भागे उन्हें मैं रहनुमा लिख दूं
मेरे लिखने की कुछ कीमत है, पहले दाम तो दीजे
तमाशा देखिए फिर कौन सी हस्ती को क्या लिख दूं
जो तौला जाए सिक्का-ए-राय्जुल्वक्त से वो ही
सुखनवर अस्ल है, बाकी को लानत औ धता लिख दूं
मैं गिर सकता हूँ तुमसे भी जियादा मौका तो दीजे
गधे को बाप लिख दूं और अब्बू को गधा लिख दूं
जुए में कितना हारे हो किसे मालूम ये किस्से
कहो तो इसको मैं दरियादिली की इंतहां लिख दूं
तुम्हारे हरम में जितनी तितलियां पल रहीं, उनको
तुम्हारी बेटियां लिख दूं, बहन लिख दूं, बुआ लिख दूं
बने रहते हैं वो चर्चा में जो औरों पे लिखते हैं
कहो तो सारे घोटालों को औरों की ख़ता लिख दूं
मेरे अख़बार, चैनल, वेब, रिसाले सब बिकाऊ हैं
कहो तो मैं तुम्हें चलती सदी का देवता लिख दूं
बहुत ही पूछ है मेरी, लिखा लो जल्द ही, वर्ना
किसे मालूम कल किससे मैं कितना लूं औ क्या लिख दूं
- शशिकान्त
सिंह
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