24 मई, 1999, नयी दिल्ली
कर ले, कर ले, अरे प्यार कर ले ज़रा - 4
फिर ये मौसम हसीं कल रहे ना नहीं
मद भरा ये समाँ खो न जाए कहीं
इसलिए नाच तू गुनगुना मुस्कुरा
कर ले, कर ले, अरे प्यार कर ले ज़रा
दिल बदल के किसी से तो देखो कभी
दिल के बदले में दिल दे के देखो कभी
तेरा मुर्झाया दिल हो उठेगा हरा
कर ले, कर ले, अरे प्यार कर ले ज़रा
प्यार की राह में गर बढ़ा तू क़दम
तो ख़ुदा भी मिले औ विसाले-सनम
दिल के बदले में दिल का ये सौदा खरा
कर ले, कर ले, अरे प्यार कर ले ज़रा
खिलती कलियों को तू
खिलखिलाना सिखा
इन तितलियों को तू
गुनगुनाना सिखा
ग़ौर मुखड़े पे कर,
रहने दे अन्तरा
कर ले, कर ले, अरे प्यार कर ले ज़रा
©शशि कान्त सिंह
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