Monday, 25 August 2025

बचपन की कुछ अदाएँ...

21 मार्च, 1978, वट वृक्ष, गोमती, सरौनी 

बचपन की कुछ अदाएँ, यौवन का कुछ निखार

डम डमडम डमडमडम, डम डमडम डमडमडम - 4 

डमक डमक डम 

बचपन की कुछ अदाएँ, यौवन का कुछ निखार 

बोलो करूँ तुम्हारे, किस रूप को मैं प्यार।।


चँदा सा प्यारा बचपन, बचपन, 

चँदा सा प्यारा बचपन-2

चँदा सा प्यारा बचपन, रुख़्सत सा हो रहा 

सूरज सा तेज यौवन, यौवन, 

सूरज सा तेज यौवन - 2

सूरज सा तेज यौवन, दस्तक सा दे रहा

दो नूर के मिलन से, दमके तेरे रुख़सार 

बोलो करूँ तुम्हारे किस रूप को मैं प्यार।।


महताब-ओ-आफ़ताब का सँगम है तेरा रूप

चाँदी सी थोड़ी चाँदनी, सोने सी थोड़ी धूप

आते जो देखा तुमको, शरमा गयी बहार

बोलो करूँ तुम्हारे किस रूप को मैं प्यार।।


बिजली सी चमके बिंदिया तेरी 

बिजली सी चमके डमक ढिन - 2

बिजली सी चमके बिंदिया तेरी, बादल से काले बाल

मन मोर सा मचल उठा, पूछो ना दिल का हाल

उम्मीद में हूँ कब गिरे, रस की मधुर फुहार

बोलो करूँ तुम्हारे किस रूप को मैं प्यार।।


तेरि हंसिनी सी चाल है, हिरनी सी तेरी आँखें

रसवंती तेरे होंठ हैं, नारंगी की दों फाँकें

इक रूप का शिकारी, ख़ुद हो गया शिकार

बोलो करूँ तुम्हारे किस रूप को मैं प्यार।।

                      --- ©शशि कान्त सिंह

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