Monday, 25 August 2025

नाचे मेरे मन का मोर ...

7 अप्रैल, 1999, श्याम विहार

तकधिन तकधिन तकधिन तक, 

तकधिन तकधिन तकधिन तक

तकधिन तकधिन तकधिन तक, 

तकधिन तकधिन तकधिन तक

कितना मैं ने समझाया, 

पर चला ना कोई ज़ोर

तेरि ज़ुल्फ़ों की काली घटा पर, 

नाचे मेरे मन का मोर

तकधिन तकधिन तकधिन तक, 

तकधिन तकधिन तकधिन तक

चाहे मुझको शायर समझो, 

चाहे समझो हुस्न का चोर

तेरी ज़ुल्फ़ों की काली घटा पर, 

नाचे मेरे मन का मोर


तेरा चांद सा मुखड़ा देखा, 

तो मैं ने ईद मनाली

दीपक जैसे तेरे नैना, 

देखा तो हुई दीवाली

मेरे दिल तो एक पतंग है 

और तुम हो इसकी डोर 

तेरी ज़ुल्फ़ों की काली घटा पर, 

नाचे मेरे मन का मोर 

         ©शशि कान्त सिंह 

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