7 अप्रैल, 1999, श्याम विहार
इक गल पूछूँ मेरे यारा,
तू क्यों लगे इतना प्यारा - 2
तू है तो ये दुनिया है,
तुम बिन सूना जग सारा - 2
तेरी आँखों में कैसा जादू,
तेरे जादू में कैसा नशा है
सच-सच मुझको बतला दे,
तेरी आँखों में कौन बसा है
तुम्हें जीतने आया था मैं,
तुम्हें देखते ही दिल हारा
तू है तो ये दुनिया है,
तुम बिन सूना जग सारा
क़ुदरत ने तुम्हें युँ तराशा,
खजुराहो याद आता है
तेरी चाल में ऐसी मस्ती,
कोर्णाक भी शरमाता है
अप्सरा अजन्ता की हो,
या जन्नत का हो नज़ारा
तू है तो ये दुनिया है,
तुम बिन सूना जग सारा
किसि कवि की हो तुम कविता,
या दिलकश कोई ग़ज़ल हो
फूलों पे पड़ी शबनम हो,
या खिलता हुआ कमल हो
कैसे भर दिया ख़ुदा ने
इक फूल में चमन ही सारा
तू है तो ये दुनिया है,
तुम बिन सूना जग सारा
इक गल पूछूँ मेरे यारा,
तू क्यों लगे इतना प्यारा
तू है तो ये दुनिया है,
तुम बिन सूना जग सारा
©शशि कान्त सिंह
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