13 जून, 1997, श्याम विहार
उंगली घिस गयी दिन गिन-गिन,
पर आयी ना मिलन की रात
तक धिनधिनधिनधिन धिनतक धिन,
तक धिनधिनधिनधिन धिनतक धिन
उंगली घिस गयी दिन गिन-गिन,
पर आयी ना मिलन की रात
कब उठ्ठेगी डोली मेरी,
कब आएगी बारात
सजन ज़रा जल्दी करना
उंगली घिस गयी दिन गिन-गिन,
पर आयी ना मिलन की रात
तक धिनधिनधिनधिन धिनतक धिन,
तक धिनधिनधिनधिन धिनतक धिन
उंगली घिस गयी दिन गिन-गिन,
पर आयी ना मिलन की रात
कब बाँधूँगा सेहरा मैं,
कब लाऊँगा बारात
गोरी ज़रा जल्दी करना
मेरी सब सखियों के अब तक
पाँव हो चुके भारी
मैं ही बच गयी एक अभागन,
अब तक रही कुँवारी
मेरी सब सखियों के अब तक
पाँव हो चुके भारी
मैं ही बच गयी एक अभागन,
अब तक रही कुँवारी
कितनी बार घिरे बादल
पर हो ना सकी बरसात
तक धिनधिनधिनधिन धिनतक धिन
तक धिनधिनधिनधिन धिनतक धिन
कितनी बार घिरे बादल
पर हो ना सकी बरसात
कब उठ्ठेगी डोली मेरी,
कब आएगी बारात
सजन ज़रा जल्दी करना
मेरे यारों के हैं कितने
बच्चे प्यारे-प्यारे
अपने राम की क़िस्मत खोटी,
अब तक रहे कुँवारे
हाथ उठाए दुआ माँगता ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ
अरे हाथ उठाए दुआ माँगता,
ख़ुदा से मैं दिन-रात
कब खोलूँगा मैं घूँघट-पट,
कब आएगी वो रात
गोरी ज़रा जल्दी करना
सजन ज़रा जल्दी करना
गोरी ज़रा जल्दी करना
सजन ज़रा जल्दी करना
अपनी शादी में ये पंडित
ही रोड़े अटकाए
कभी तो कहता लगन नहीं है,
पंचक कभी बताए
अपनी शादी में ये पंडित
ही रोड़े अटकाए
कभी तो कहता लगन नहीं है,
पंचक कभी बताए
पीटो इस बूढ़े खूसट को
तभी बनेगी बात
तभी बजेगी शहनाई
और आएगी वो रात
गोरी ज़रा जल्दी करना
सजन ज़रा जल्दी करना
गोरी ज़रा जल्दी करना
सजन ज़रा जल्दी करना
© शशि कान्त सिंह
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