Monday, 25 August 2025

मेरे जीवन पर यारा, तेरा कितना है उपकार ...

4 अप्रैल, 1997, नयी दिल्ली

मेरे जीवन पर यारा, 

तेरा कितना है उपकार

मेरा दिल नन्हां सा पँछी, 

तेरा नील-गगन सा प्यार


तेरी मीठी-मीठी, डिंगडांगडिंगडांग, 

रे तेरी मीठी-मीठी, डिंगडांगडिंगडांग

तेरी मीठी-मीठी बातें याद आए, 

मोहें सारी रतिया

मोहें सारी-सारी रात याद आए, 

तेरी मीठी बतियां 

इस रतिया-बतिया में यारा 

हो जाता है भिनसार

मेरा दिल नन्हां सा पँछी, 

तेरा नील-गगन सा प्यार


मेरा जीवन था इक पत्थर, 

इसे तूने तराशा

तू इक बहती नदिया है, 

मैं राही प्यासा

मेरा जीवन था इक पत्थर, 

इसे तूने तराशा

तू इक बहती नदिया है, 

मैं राही प्यासा

मेरे जीवन की बगिया को 

तुमने ही किया गुलज़ार

मेरा दिल नन्हां सा पँछी, 

तेरा नील-गगन सा प्यार


गर तुम ना मिलते तो हम, 

मर जाते क़सम से

हम इक-दूजे के प्यासे, 

थे कितने जनम से

गर तुम ना मिलते तो हम, 

मर जाते क़सम से

हम इक-दूजे के प्यासे, 

थे कितने जनम से

तेरा प्यार है ऐसा सागर, 

जिसका कोई आर ना पार

मेरा दिल नन्हां सा पँछी, 

तेरा नील-गगन सा प्यार

                  © शशिकान्त सिंह  

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