11 जुलाई, 1996, पालम, नयी दिल्ली
मैं रहूँ ना रहूँ, मैं रहूँ ना रहूँ - 4
तेरे ख़्वाबों ख़यालों में आऊँगा मैं,
तेरी नींदों में सपने सजाऊँगा मैं
घोलकर चाँदनी में बहारों का रंग
तेरे माथे पे बिन्दिया सजाऊँगा मैं
मैं रहूँ ना रहूँ, मैं रहूँ ना रहूँ - 2
मेरी जान-ए-वफ़ा, बनके चँचल हवा
तेरी अलकों को यूँ छेड़ जाऊँगा मैं
बनके चँदन हवाओं में घुलता हुआ
तेरी साँसों में ख़ुशबू जगाऊँगा मैं
मैं रहूँ ना रहूँ, मैं रहूँ ना रहूँ - 2
याद मुझको कभी तू करे ना करे
प्यार में ठंडी आहें भरे ना भरे
तेरी गलियों में आवारा फिरता हुआ
इक नज़र बस तुम्हें देख जाऊँगा मैं
मैं रहूँ ना रहूँ, मैं रहूँ ना रहूँ - 2
प्यार चट्टान है, कोई तिनका नहीं
रिश्ता जन्मों का ये, एक दिन का नहीं
मेरे गीतों को जब भी सुनोगी प्रिये,
तब क़सम से बहुत याद आऊँगा मैं
मैं रहूँ ना रहूँ, मैं रहूँ ना रहूँ - 2
©शशि कान्त सिंह
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