Monday, 25 August 2025

तिरंगा फहराओ ...

 10 अगस्त, 1986, सहसो, प्रयागराज

आज तो है आज़ादी का दिन, 

झूमो, नाचो, गाओ

तिरंगा फहराओ

आज है पंद्रह अगस्त, 

तिरंगा फहराओ 

 

कैसे सुनाऊँ इसकी कहानी, 

भर आता है आँख में पानी

हमने खेली ख़ून की होली, 

सीने पर खायी थी गोली

देश के लिए बने सन्यासी, 

हँसते-हँसते चढ़ गए फाँसी

लाखों का सिंदूर मिटा था, 

लाखों का घर-बार लुटा था

माँ ने लाखों लाल गँवाए, 

लौट के जो फिर घर नहीं आए

हमने अपना ख़ून बहायाऽऽऽऽऽऽऽऽ  

हमने अपना ख़ून बहाया

पर तुम ईद मनाओ

तिरंगा फहराओ

आज है पंद्रह अगस्त, 

तिरंगा फहराओ 


मिट गए वो लाखों दिल वाले, 

कर के तिरंगा तेरे हवाले

तीन रंग का फूल ये प्यारा, 

ज्यों नभ में रंगीन सितारा

देखो ये झुकने ना पाए, 

चाहे अपना सर कट जाए

आन-बान ये शान हमारा, 

इसके साए में सुख सारा

इसकी छवि को रखना निर्मल, 

ये है भारत माँ का आँचल

आओ इसको शीश झुकाकरऽऽऽऽऽऽऽऽ

आओ इसको शीश झुकाकर, 

वंदे मातरम गाओ 

तिरंगा फहराओ

आज है पंद्रह अगस्त, 

तिरंगा फहराओ

 --- ©शशि कान्त सिंह

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