8 अप्रैल, 1997, नयी दिल्ली
मेरे प्यार को तूने क्यों क्यों छोड़ा - 2
मेरा प्यार भरा दिल क्यों तोड़ा
मेरे प्यार को तूने क्यों क्यों छोड़ा
मेरा प्यार भरा दिल क्यों तोड़ा
प्यार हमारा तेरी नज़र में सच्चा प्यार नहीं था ?
या तुमको उन क़समों-वादों पर एतबार नहीं था?
मेरे प्यार को तूने क्यों क्यों छोड़ा
मेरा प्यार भरा दिल क्यों तोड़ा
बैरी तूने प्यार-वफ़ा की अच्छी रस्म निभायी
चुटकी भर सिंदूर लगाकर हो गयी आज परायी
मेरे प्यार को तूने क्यों क्यों छोड़ा
मेरा प्यार भरा दिल क्यों तोड़ा
अपना नशेमन छोटा था उस सोने के पिंजरे से?
या मेरा दिल हल्का पड़ गया दौलत के पलड़े पे?
मेरे प्यार को तूने क्यों क्यों छोड़ा
मेरा प्यार भरा दिल क्यों तोड़ा
तोहफ़े सारे लाए हैं पर तोहफ़ा मेरा निराला
दिल को पिरो कर लाया हूँ अपने अश्कों की माला
मेरे प्यार को तूने क्यों क्यों छोड़ा
मेरा प्यार भरा दिल क्यों तोड़ा
©शशि कान्त सिंह
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