Monday, 25 August 2025

तारों भरी राऽऽऽऽत, पहली मुलाक़ा ऽऽऽऽत ..

 29 मई, 1999, नयी दिल्ली

तारों भरी राऽऽऽऽत, 

पहली मुलाक़ाऽऽऽऽत

कहाँ से शुरूऽऽऽऽ, 

करूँ कोई बाऽऽऽऽत

रात है जवां, प्यारा है समाँ

कैसे मैं बयाँ करूँ जज़्बात

तारों भरी राऽऽऽऽत


गोरा सा मुखड़ा, मुखड़े पे तिल है

मेरे सनम का, फूलों सा दिल है

उसको भला मैं, तोहफ़े में क्या दूँ

सामने मेरे, ये मुश्किल है

फूल को दूँ मैं फूलों की सौगात 

तारों भरी राऽऽऽऽत


साँसों में मेरे वो दिल-नशीं है

पर मेरे दिल की ये बेबसी है

पहली मुहब्बत, पहला मिलन है

देने को फिर भी, कुछ भी नहीं है

कैसे घिरे, प्यार की घटा

कैसे भला, होगी बरसात

तारों भरी राऽऽऽऽत


बरसों सँभाला, जिस दिल को मैं ने

पहले ही उसको, तुम ले चुके हो

नग़्मा भी कोई कैसे सुनाऊँ

होंठों पे मेरे तुम जो बसे हो

सोचा ही नहीं, आएँगे कभी

मेरे सामने, ऐसे हालात

तारों भरी राऽऽऽऽत

             ©शशि कान्त सिंह 

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