Saturday, 30 August 2025

भला तक़दीर में ऐसा लिखा क्या है ख़ुदा मेरी...

 6 दिसम्बर, 1999, नई दिल्ली

भला तक़दीर में ऐसा लिखा क्या है ख़ुदा मेरी

सज़ा कर के मुक़र्रर खोजते हैं वो ख़ता मेरी

शहर में आजकल चर्चें है तेरी बेवफ़ाई के

तेरी इस बेवफ़ाई से निखरती है वफ़ा मेरी

तेरी ज़ुल्फ़ों के बादल एक दिन इस दिल पे बरसेंगे

कभी तो रंग लाएगी तहे-दिल की दुआ मेरी

तेरी राहों में बिछते फूल, कांटे मेरी राहों में

तेरी तक़दीर से ऐ दोस्त क़िस्मत है जुदा मेरी

कहाँ हूँ, कौन हूँ, क्या हूँ, नहीं कुछ याद अब मुझको

सुनूँगा बाद में तेरी, मुझे पहले सुना मेरी

ये आईना सदा मुझको मेरा चेहरा दिखाता है

कभी असली भी सूरत आईने, मुझको दिखा मेरी

ज़माना गर खफ़ा हो तो चलो इसकी वजह भी है

भला किस बात पर क़िस्मत हुई मुझसे ख़फ़ा मेरी

हज़ारों जाल पड़ते हैं मेरी इस दिल की मछली पर

बचा ले मेरे दिल की आबरू, ऐ दिलरूबा मेरी

बियाबाँ में भला “गौतम” किसी की कौन सुनता है

कि चट्टानों से टकरा लौट आती है सदा मेरी

                                 --- ©शशि कान्त सिंह

No comments:

Post a Comment